मेरे माजी मुझे आवाज़ ना दे
खुश्क आखों से अब अश्क नहीं बहते
चलते जा रहे हैं आवारा मौजो के मानिंद
गुमनामी में ज़िन्दगी बसर करते करते
महसूस करते थे कभी तुझसे जुदा होने का ग़म
मगर उसे भूले हुए बरसो गुज़र गए
जितनी ख्वाहिशे थी उन्हें दफना चुके है हम
अब नए हसरतों की तमन्ना नहीं रखते
महफिलों में जब भी तेरा ज़िक्र आता हैं
भीड़ में हम खुद को तन्हा पाते हैं
बदबख्त दिल से यही आह निकलती हैं
बहुत देर कर दी मेहरबान आते आते
Wajood
Friday, 19 November 2010
Wednesday, 17 November 2010
Zindagi
लुत्फ़ लेतें हैं ज़िन्दगी का तन्हाइयों को आघोष में लेकर
महफिलें सजाते हैं वीरानों में परछाइयों को दोस्त बनाकर
कोई रहनुमां नहीं ना सही ज़िन्दगी इससे मुक्कमल तो नहीं होती
ख्वाब टूटते हैं अगर तो टूटें हम जीते हैं नए ख़्वाबों के दम पर
मुहब्बत सिर्फ बज्मे यार का अफसाना नहीं
रिश्ते और भी हैं ज़िन्दगी बसर करने को
आशियाना बनाया था ख्वाब में
टूट गया चोलो अच्छा हुआ
हर मोड़ पे नये आशियाने की धुन में रहते है
महफिलें सजाते हैं वीरानों में परछाइयों को दोस्त बनाकर
कोई रहनुमां नहीं ना सही ज़िन्दगी इससे मुक्कमल तो नहीं होती
ख्वाब टूटते हैं अगर तो टूटें हम जीते हैं नए ख़्वाबों के दम पर
मुहब्बत सिर्फ बज्मे यार का अफसाना नहीं
रिश्ते और भी हैं ज़िन्दगी बसर करने को
आशियाना बनाया था ख्वाब में
टूट गया चोलो अच्छा हुआ
हर मोड़ पे नये आशियाने की धुन में रहते है
tumhaari dosti
तुम्हारी दोस्ती के साए में बहुत जी लिए हम
अब अगर खुद से मुकर जायो तो कोई बात नहीं
ज़िन्दगी के किसी मकाम पे कभी तो मिलेंगे
तब अगर अजनबी बन जायो तो कोई बात नहीं
याद उनको किया करते हैं जो अपने हो कभी
जुस्तुजू उनकी होती है जो अपने हो कभी
तुमसे नफरत नहीं शिकवा भी न गिला है कोई
हम यह भूले थे तुम इंसान हो खुदा तो नहीं
हमज़बा बन के कभी आये थे मेरे लिए तुम
मेरे जज़्बात की कीमत समझते थे कभी तुम
मोहब्बत से अभी वाकिफ नहीं है लोग कितने
तुम भी अब उनमे गर शामिल हो तो कोई बात नहीं
तुम्हारी दोस्ती के साए में बहुत जी लिए हम
अब अगर खुद से मुकर जायो तो कोई बात नहीं
ज़िन्दगी के किसी मकाम पे कभी तो मिलेंगे
तब अगर अजनबी बन जायो तो कोई बात नहीं
याद उनको किया करते हैं जो अपने हो कभी
जुस्तुजू उनकी होती है जो अपने हो कभी
तुमसे नफरत नहीं शिकवा भी न गिला है कोई
हम यह भूले थे तुम इंसान हो खुदा तो नहीं
हमज़बा बन के कभी आये थे मेरे लिए तुम
मेरे जज़्बात की कीमत समझते थे कभी तुम
मोहब्बत से अभी वाकिफ नहीं है लोग कितने
तुम भी अब उनमे गर शामिल हो तो कोई बात नहीं
तुम्हारी दोस्ती के साए में बहुत जी लिए हम
Zindagi Bula Rahi Thi
एक कश्ती पे सवार किसी गुम्दश्ता किनारे पे जा रही थी
अचानक एक सदा आई मुड़ के देखा तो ज़िन्दगी बुला रही थी
चेहरा जाना पहचाना सा था, मुलाक़ात भी कुछ नयी ना थी
पर फासले बढ़ चुके थे दरमियान इतने
न जाने क्यों मुझसे फिर मिलने आ रही थी
ना मुझे मंजिल का पता था ना ही था कोई और ठिकाना
फिर भी एक चाह थी उसकी कही धुंदली सी
इतने में वोह मेरे करीब आके बोली, में यही थी तुझमे कही हमेशा से
मुझे प्यार से सहलाते हुए मुस्कुरा रही थी
मुझे ज़िन्दगी बुला रही थी
अचानक एक सदा आई मुड़ के देखा तो ज़िन्दगी बुला रही थी
चेहरा जाना पहचाना सा था, मुलाक़ात भी कुछ नयी ना थी
पर फासले बढ़ चुके थे दरमियान इतने
न जाने क्यों मुझसे फिर मिलने आ रही थी
ना मुझे मंजिल का पता था ना ही था कोई और ठिकाना
फिर भी एक चाह थी उसकी कही धुंदली सी
इतने में वोह मेरे करीब आके बोली, में यही थी तुझमे कही हमेशा से
मुझे प्यार से सहलाते हुए मुस्कुरा रही थी
मुझे ज़िन्दगी बुला रही थी
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