तुम्हारी दोस्ती के साए में बहुत जी लिए हम
अब अगर खुद से मुकर जायो तो कोई बात नहीं
ज़िन्दगी के किसी मकाम पे कभी तो मिलेंगे
तब अगर अजनबी बन जायो तो कोई बात नहीं
याद उनको किया करते हैं जो अपने हो कभी
जुस्तुजू उनकी होती है जो अपने हो कभी
तुमसे नफरत नहीं शिकवा भी न गिला है कोई
हम यह भूले थे तुम इंसान हो खुदा तो नहीं
हमज़बा बन के कभी आये थे मेरे लिए तुम
मेरे जज़्बात की कीमत समझते थे कभी तुम
मोहब्बत से अभी वाकिफ नहीं है लोग कितने
तुम भी अब उनमे गर शामिल हो तो कोई बात नहीं
तुम्हारी दोस्ती के साए में बहुत जी लिए हम
I really love this one...please keep writing,,,
ReplyDeletethank you very much.. i hope to write many more
ReplyDeletenice poem.
ReplyDeleteThank you very much. I am happy that you liked it.
ReplyDeleteAnita
Wonderfully conveyed thought!!
ReplyDeleteThank you very much.
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